Secularism (इहलोकवाद)
- क्या जरूरी है कि हर आदमी मोक्ष के पीछे ही दौड़ता रहे|
- क्या जरूरी है कि हमारे लक्ष्य परलोक में हो?
- क्या इसी जीवन को इसी संसार को सुंदर बनाना पर्याप्त लक्ष्य नहीं हो सकता है?
इस पार प्रिये तुम हो मधु है। उस पार न जाने क्या होगा
हरिवंश राय बच्चन
दिनकर ने कुरुक्षेत्र में गुस्से में ये बात कही है (भीष्म पितामह युधिष्ठिर से कह रहे हैं):
ऊपर सब कुछ शून्य शून्य है, कुछ भी नहीं गगन में,
धर्मराज जो कुछ भी है, वह मिट्टी में जीवन में।
- उधर कुछ नहीं है जो कुछ है यहां है। धर्मराज युधिष्ठिर इस जगत को वास्तविक समझो। इस जगत के परे की चिंताएं करना भूलो इस जगत को सुंदर बनाना है।