चार पुरुषार्थ
वैदिक/औपनिषिदिक परंपरा में चार पुरुषार्थ होते हैं|
- धर्म (धार्मिक आचरण करना)
- अर्थ (पैसा कमाना)
- काम (यौन जीवन के और बाकी सुख भोगना)
- मोक्ष (पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाना)
- पुनर्जन्म का मतलब है बार बार पैदा होना।
- मोक्ष का मतलब स्वर्ग नहीं होता। स्वर्ग तो बहुत छोटी चीज है।
तो भारत में सहमति थी कि सबसे ऊंचा पुरुषार्थ, मोक्ष है। और ये जो तीन हैं यह उसकी तुलना में सामान्य है। इनको सीमित रूप से करना चाहिए।
- अर्थ ठीक है, लेकिन बहुत महत्व मत दो|
- काम ठीक है, लेकिन इतना पागल मत हो जाओ वासनाओं के पीछे की उसके सिवा कुछ दिखे नहीं।
- धर्म जरूरी है, धर्म के माध्यम से मोक्ष मिलेगा।