07 नृजाति प्रणाली विज्ञान (एथनोमेथोडोलॉजी)
Slide 1: 🎬 परिचय: रोजमर्रा की जिंदगी के अनदेखे नियम
- हम सब अपनी रोज की जिंदगी जीते हैं, पर क्या कभी सोचा है कि इसके पीछे कौन से अनदेखे नियम काम करते हैं? 🤔
- आज हम इन्हीं नियमों को एक खास नजरिए से समझेंगे: निजाति प्रणाली विज्ञान (Ethnomethodology) 🧐
- यह समझने की कोशिश है कि हम अपनी सामाजिक दुनिया का मतलब कैसे निकालते हैं 🌍 - बड़ी-बड़ी संरचनाओं से ज्यादा अपने रोज के तरीकों पर ध्यान देकर।
- मुख्य विचारक: हेरल्ड गारफिंकल का काम इस फील्ड में बहुत अहम है।
- उद्देश्य: यह पता लगाना कि हम हर पल अपनी सामाजिक सच्चाई को कैसे बनाते हैं, कैसे रचते हैं। 🛠️
- ध्यान दें: यह सोच पारंपरिक समाजशास्त्र से थोड़ी अलग है। 🔄
Slide 2: 🧐 पारंपरिक समाजशास्त्र बनाम निजाति प्रणाली विज्ञान
- पारंपरिक समाजशास्त्र:
- समाज की संरचनाओं को अक्सर ऐसे देखता है जैसे वो हमसे बाहर हैं, पहले से बनी-बनाई ठोस चीजें हों (ऑब्जेक्टिव टाइप)। 🏛️
- निजाति प्रणाली विज्ञान (Ethnomethodology):
- कहता है कि समाज की सच्चाई कोई स्थिर चीज नहीं है। 🚫
- यह तो एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जिसे हम अपनी रोज की गतिविधियों से, अपनी बातचीत से लगातार बनाते हैं और निभाते हैं। 🔄
- यह इस बात पर जोर देता है कि सामाजिक व्यवस्था हमें बस मिली नहीं है, हम उसे हर पल अपने कामों से बना रहे हैं। 🛠️
- यह हमारे रोजमर्रा के काम करने के तरीकों में ही छुपा है। 🤫
Slide 3: 🗣️ "निजाति प्रणाली विज्ञान" शब्द का अर्थ
- एथनो (Ethno): सदस्य, यानी लोग (हम और आप)। 🧑🤝🧑
- मेथड (Method): तरीके, वो तरीके जो हम इस्तेमाल करते हैं। 📝
- लॉजी (Logy): अध्ययन। 📖
- तो, इसका मतलब हुआ: यह उन तरीकों का अध्ययन है जो लोग (सदस्य) अपनी दुनिया को समझने और उसमें काम करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
- यह सामाजिक तथ्यों को बाहरी ताकतों का नतीजा नहीं मानता, बल्कि यह मानता है कि यह सब लोगों की प्रैक्टिकल गतिविधियों से ही उपजता है। 🛠️
Slide 4: 🗺️ संदर्भ (Context) और अनुक्रमिकता (Indexicality)
- संदर्भ (Context): बहुत जरूरी हो जाता है! 🌍
- अनुक्रमिकता (Indexicality):
- मतलब: शब्दों या वाक्यों का अर्थ इस बात पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है कि उन्हें कब, कहाँ और कौन कह रहा है, किससे कह रहा है। 🗣️📍⏰
- उदाहरण: कोई कहता है, "वो वहाँ थी।"
- इसका क्या मतलब है? जब तक हमें पता न हो कि 'वो' कौन है, 'वहाँ' कौन सी जगह है, और यह बात किस सिचुएशन में कही जा रही है, तब तक मतलब अधूरा है। 🤔
- ब्योरा (Accounts):
- क्योंकि मतलब इतना संदर्भ पर निर्भर है, तो लोग अपनी बातों और स्थितियों को समझाने के लिए जो वजहें बताते हैं या जो स्पष्टीकरण देते हैं, उन्हें ब्योरा या अकाउंट्स कहते हैं। 🧾
- यह बहुत अहम हो जाते हैं। यह सिर्फ कोई सफाई नहीं है। 🚫
- यह खुद सोशल इंटरेक्शन का हिस्सा हैं। इनके जरिए ही हम एक दूसरे को समझाते हैं कि क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है। 🤝
- एथनोमेथोडोलॉजिस्ट इन अकाउंट्स का विश्लेषण करते हैं - यह देखने के लिए नहीं कि वो सच हैं या झूठ, बल्कि यह समझने के लिए कि उन्हें कैसे पेश किया जाता है, लोग उन्हें कैसे मानते हैं या कैसे नकारते हैं।
- इसमें एक तरह की विश्लेषणात्मक उदासीनता होती है (जजमेंट नहीं)। ⚖️
Slide 5: 🎭 आलेिखीय विधि (Documentary Method) और एग्नेस का मामला
- आलेिखीय विधि (Documentary Method):
- हम अक्सर किसी छोटी सी बात या हरकत में भी एक बड़ा छुपा हुआ पैटर्न या मतलब ढूंढ लेते हैं। 🧩
- जैसे वो छोटी सी बात किसी गहरी छुपी हुई सच्चाई का दस्तावेज या सबूत हो। 📜
- एग्नेस का मामला: 🧍♀️
- यह इन सब आइडियाज को असल जिंदगी में काम करते देखने का एक कमाल का उदाहरण है।
- यह दिखाता है कि लिंग (जेंडर), जिसे हम अक्सर जन्म से जुड़ा या बिल्कुल स्थिर मानते हैं, वो भी असल में कितनी सक्रियता से निभाई जाने वाली चीज है। 🎭
- एग्नेस, जो जन्म से पुरुष थे, उन्होंने समाज में एक महिला के तौर पर स्वीकार्य होने के लिए सारे तौर-तरीके सीखे और अपनाए।
- बुनियादी बात: एग्नेस का मामला सिर्फ यह नहीं दिखाता कि जेंडर एक भूमिका है, बल्कि यह हमारी इस गहरी सोच को चुनौती देता है कि लिंग जैसी श्रेणियां कोई ठोस चीजें हैं जो हमारे पास होती हैं। यह दिखाता है कि यह असल में वो चीजें हैं जिन्हें हम लगातार करते हैं, पल-पल निभाते हैं।
- एग्नेस के लिए महिला होना एक लगातार चलने वाली मेहनत का काम था - इसे पासिंग (Passing) कहते हैं। यह एक सतत उपलब्धि है, जिसे लगातार बनाए रखना पड़ता है। 💪
- निष्कर्ष: यह इस बात पर रोशनी डालता है कि हम सब, जाने-अनजाने, अपनी सामाजिक पहचान और व्यवस्था को बनाने में लगातार लगे रहते हैं, अक्सर बिना ध्यान दिए। 🔄
Slide 6: 💡 संक्षेप और महत्व
- निजाति प्रणाली विज्ञान (Ethnomethodology): हमें उन प्रैक्टिकल, रोजमर्रा के तरीकों पर ध्यान देने को कहता है जिनसे हम सामाजिक व्यवस्था बनाते हैं और उसे समझते हैं। 🛠️🌍
- यह उस कॉमन सेंस या आम समझ को बहुत अहमियत देता है जिसे हम सब इस्तेमाल करते हैं। 🧠
- बड़ी तस्वीर: यह नजरिया हमें यह समझने में भी मदद करता है कि समाज की जो बड़ी संरचनाएं हैं (जैसे परिवार, कानून, अर्थव्यवस्था), वो भी कहीं न कहीं इन्हीं छोटी-छोटी अंतःक्रियाओं और लोगों के रोजमर्रा के तरीकों पर टिकी होती हैं, उन्हीं से बनती हैं। 🏛️➡️🤝
- यह सूक्ष्म (माइक्रो) और वृहद (मैक्रो) समाजशास्त्र के बीच की खाई को कुछ हद तक पाटता है। 🌉
- यह दिखाता है कि सामाजिक व्यवस्था ऊपर से थोपी हुई कोई चीज नहीं, बल्कि हम सदस्यों की, हम लोगों की रोजमर्रा की प्रैक्टिकल उपलब्धि है। 💪
- सोचने का एक अलग तरीका: निजाति प्रणाली विज्ञान हमें अपनी ही दुनिया को एक नए नजरिए से देखने का मौका देता है। ✨
Slide 7: 🤔 अंतिम विचार और सवाल
- सवाल: ❓
- अगर हम सब हर पल, हर वक्त, अपनी दुनिया को समझने और उसमें रास्ता बनाने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हमारी जो सामाजिक सच्चाई है, उसका कितना बड़ा हिस्सा असल में उसी वक्त, रियल टाइम में, सक्रिय रूप से बनाया जा रहा है? 🔄
- यहाँ तक कि उन स्थितियों में भी जिन्हें हम बिल्कुल स्थिर या पहले से तय मानते हैं?
- वो कौन से रोजमर्रा के छोटे-छोटे तरीके हो सकते हैं जिनका लोग अभी, इसी पल, इस्तेमाल कर रहे हैं और जिन पर शायद हमारा ध्यान ही नहीं जाता? 🤔
- एथनोमेथोडोलॉजी की देन: शायद यही इसकी सबसे बड़ी देन है हमें - अपने ही रोजमर्रा के कामों पर गौर करने के लिए उकसाना। 💡