Contributions of Charwak Philosophy

भारतीय दर्शन को रूढ़िवाद से बचाया

डॉक्‍टर राधाकृष्‍णन ने कहा है कि इन्होंने भारतीय दर्शन को रूढ़िवाद से बचाया| अगर चार्वाक न होते ना भारतीय दर्शन हठवादी/मताग्रही/prejudiced/पूर्वाग्रही/dogmatic हो जाता।

जब चार्वाक चैलेंज करता है तो हम नए तरीके से सोचने को मजबूर होते हैं। जैसे पश्चिम में डेविड ह्यूम के संदेहवाद की वजह से कई दार्शनिक गड़बड़ियां करने से बच गए। तो चार्वाक की वजह से कई लोग सही रास्ते पर रहे है।

Variety of thoughts

पूरे भारतीय दर्शन में Materialism का अकेला दर्शन चार्वाक है। अंतिम सत्य तो किसी को नहीं पता, लेकिन variety of thoughts में एक variety हमारे पास इतने ठोस तरीके से आई, यह एहसान चार्वाकों का हम कभी नहीं भूल सकते, भूलना चाहिए भी नहीं।

  • पश्चिम में जो दर्शन शुरू हुआ, सारे भौतिक बात कर रहे हैं। उनके पास इतने भौतिकवादी हैं, हमारे पास एक तो है कम से कम।
  • इस बात का सुकून हमें रखना चाहिए कि हमारी परंपरा में एक भौतिकवादी दार्शनिक, वो सारी बातें रखता है जो बातें पश्चिम में कई लोगों ने रखी।
  • भौतिकवाद में हमारे पास variety कम है, पर कम से कम एक है। Spiritualism में हमारे पास वेरायटी उनसे बहुत ज्यादा है|

और जो इनका आत्मा का विचार है, आज के समय में, कंप्यूटर (AI) के आने के बाद, इसके सही होने की संभावना भी है। ये बात प्रोफेसर हेरेना नाम के एक बहुत प्रसिद्ध दार्शनिक ने कही है कि जो चार्वाक का आत्‍मा का विचार है कम से कम एक logical possibility बताता है, जिसको हम खारिज नहीं कर सकते हैं।

इहलोकवाद

इनके ethics जो है थोड़ी खराब तो है लेकिन ये पूरे भारत का अकेला दर्शन जो इहलोकवाद की बात करता है कि ये जगत, ये जीवन सुधारना है। चार्वाकों का एहसान है कि उन्‍होंने बताया कि ये जगत अपने आप में पर्याप्त है, प्रामाणिक है, इस पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।


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